रविवार, 7 सितंबर 2014

वीगन होने का फैशन


पश्चिमी देशों को फैशन का ट्रेंड सेटर माना जाता है और वहां का लेटेस्ट फैशन ट्रेंड वीगन होना है। वीगन को साधारण भाषा में हम शाकाहारी कह सकते हैं। स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण वहां के लोगों में मांसाहार,फास्ट फूड और जंक फूड के प्रति रुझान कम हुआ है और  शाकाहारी होना एक फैशन
बन गया है।
प्राय: हम मानते हैं कि फैशन परिधान की दुनिया से जुड़ा हुआ शब्द है।  कोक-पेप्सी और पिज्जा-बर्गर को छोड़ दें तो खान-पान की आदतें  फैशन का रूप धारण नहीं करती। फैशन का एक अन्य मतलब तड़क -भड़क और उत्तेजना से होता है। बहुत कम मौकों पर सादगी को फैशन के रूप में स्वीकार किया जाता है। वीगन होने का फैशन खान-पान से जुड़े होने के साथ सादगी से भी जुड़ा हुआ है। इसलिए इसका फैशन ट्रेंड बनना वास्तव में एक खास चलन के अस्तित्व में आने का संकेत है।
  पश्चिमी देशों में कुछ साल पहले तक माहौल कुछ ऐसा था कि अगर आप कहें कि आप मांस नहीं खाते, तो आपको हैरत भरी नजरों से देखा जाता, पर अब यहां शाकाहारी ही नहीं, वीगन लोगों की भी तादाद बढ़ती जा रही है। वीगन यानी वे लोग जो जानवरों से लिया कुछ भी नहीं खाते. सिर्फ मीट या अंडा ही नहीं, वे दूध और दही से भी दूर रहते हैं. कुछ साल पहले तक पशु उत्पादों को पूरी तरह नकारने वाले लोगों को यूरोप में सिरफिरा समझा जाता था, पर अब यह चलन में है।
वीगन लोकप्रियता की एक वजह यह है कि वह मेनस्ट्रीम होता जा रहा है। इसमें माइक टायसन और ग्विनेथ पैल्ट्रो जैसे सितारों के प्रचार का भी योगदान है। जर्मन शेफ अटिला हिल्डमन जाने माने वीगन हैं। उनकी वीगन कुक बुक की 3 लाख प्रतियां बिक चुकी हैं।
'वीगन फॉर फिटÓ नाम की हिल्डमन की किताब जर्मनी की बेस्ट सैलर सूची
में शामिल है। उन्होंने किताब में
वीगन बन कर वजन कम करने के टिप्स दिए हैं।
प्राकृतिक आहार लेने के मामले में वीगन शाकाहारियों से भी एक कदम आगे हैं।  शाकाहारी दूध और शहद को आहार के रूप में लेने में कोई बुराई नहीं मानते जबकि वीगन दूध और शहद को भी बुरा मानते हैं क्योंकि वीगन किसी भी पशु उत्पाद को नहीं लेने की वकालत करते हैं । वे ना सिर्फ जानवरों को बचना चाहते हैं, बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा करना
चाहते हैं। वीगन होना केवल स्वास्थ्य से ही नहीं जुड़ा है, बल्कि यह एक जीवनशैली है। जर्मनी में करीब 6 लाख  वीगन हैं।
सोया से बने कबाब, बिना दूध का चीज और कुत्ते- बिल्लियों के लिए भी शाकाहारी भोजन, बाजार में ये सब उपलब्ध हंै। कभी जर्मनी में शाकाहारी चीजें मिलना मुश्किल था, पर इस बीच वीगन खाना भी आसानी से मिल जाता है। देश भर में कई वीगन दुकानें और रेस्तरां खुल गए हैं।
सिर्फ जर्मनी में ही नहीं, यह चलन दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है. खास तौर से ब्रिटेन और अमरीका में वीगन लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके अलावा ब्राजील और बहुत से एशियाई देशों में बौद्ध संप्रदाय के लोगों में भी इसका
चलन है।
 भारत में शाकाहार की एक सुदृढ़ और सुदीर्घ परंपरा है
तो दूसरी तरफ ऐसे बुद्धिजीवियों की जमात है जो शाकाहार को पिछड़ेपन की निशानी मानते हैं और कुपोषण
का कारण भी। ऐसे में भारतीय, शाकाहार के पश्चिमी संस्करण यानी वीगनिज्म को किस रूप में लेते हंै, इसे देखना बहुत ही रोचक होगा क्योंकि यहां पर पश्चिमी ठप्पे को आधुनिकता की निशानी मानने का चलन चल पड़ा है।

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